सोमवार, 22 अप्रैल 2013

नारी सृष्टि रचेता है


 -चन्द्रवीर सिंह चन्द्र

सिकन्दराराव 9690188437

सृष्टि रचेता की सृष्टि में
नारी सृष्टि रचेता है
मानव जीवन-यापन की वह
अद्भुत जीवन रेखा है

हर युग में नारी की पूजा
वेदों ने दर्शाई है
देवों ने सम्मान किया
नारी में देख भलाई है

यों तो अत्याचार जगत में
हर युग में होते आये हैं
लेकिन अत्याचारी भी तब-
तब दण्डित होते आये है

आज कलियुगी शासन है
जो मूक बना बैठा रहता है
सरेआम नारी की अस्मत
लूट दरिन्दे जाते हैं

नेता को कुर्सी का लालच
अधिकारी को धन का लालच
दो-दो चेहरे लगा के सब
कानून का पाठ पढ़ाते हैं

अपराधी अपराध कर रहा
बेकसूर बतलाते हैं
सत्यमेव जयते का नारा
फिर भी लोग लगाते हैं

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