गुरुवार, 28 मार्च 2013

झरें रंग प्यार के बस यार, अब की बार होली में- विवेकशील


झरें रंग प्यार के बस यार, अब की बार होली में
रूठे से मधुर मनुहार अब की बार होली में

लगायें हम हृदय सबको पुराने घाव मिट जायें
पले मन में बिखरने के, वो सारे भाव मिट जायें
बढ़ायें प्यार का संसार अब की बार होली में
झरें रंग प्यार के बस यार, अब की बार होली में

बढ़े दामों में दीनों का बहुत निकला दिवाला है
कहें पकवान की अब क्या, गया मुंह का निवाला है
रहे ना कोई भी लाचार, अब की बार होली में
झरें रंग प्यार के बस यार, अब की बार होली में

बदलते दौर में बन्धू, जगाना है जवानी को
चली आई जो सदियों से बदलना है कहानी को
हटानी धर्म से तलवार, अब की बार होली में
झरें रंग प्यार के बस यार, अब की बार होली में

हमें आतंक, अत्याचार को जड़ से मिटाना है
सुखी औ’ शक्ति से सम्पन्न भारत को बनाना है
लें हम संकल्प दिल से यार, अब की बार होली में
झरें रंग प्यार के बस यार, अब की बार होली में

शुक्रवार, 8 मार्च 2013

हिन्दू जिन्दाबाद रहेगा - विवेकशील राघव

धर्म भावना मन में होगी, जब ना जाति वाद रहेगा।
हिन्दू जिन्दाबाद रहा है, हिन्दू जिन्दाबाद रहेगा।

जातिवाद को ढाना होगा
भारत एक बनाना होगा
अगड़े-पिछड़े नहीं रहेंगे
घृणा त्याग सब गले मिलेंगे
सबका जीवन गति पकड़ेगा
कष्ट किसी को ना जकड़ेगा

सबको सत्ता का संरक्षण, हर प्राणी आबाद रहेगा
हिन्दू जिन्दाबाद रहा है, हिन्दू जिन्दाबाद रहेगा।

परमारथ के लिए जियेंगे
पर सुख को कुछ गरल पियेंगे
बन्धु-भाव हर मन में होगा
कितना प्रेम वतन में होगा
पुनः राष्ट्र का बल जागेगा
निज स्वारथ का छल भागेगा

द्वेष,दंभ को जगह न होगी, मधुर, सुखद संवाद रहेगा
हिन्दू जिन्दाबाद रहा है, हिन्दू जिन्दाबाद रहेगा।


धर्म-ध्वजा ले बढ़ जायेंगे
दुष्ट-दलों पर चढ़ जायेंगे
हर उन्माद मिटा डालेंगे
अरि को धूल चटा डालेंगे

आतंकों का बीज मिटेगा
फिर ना भारत देश बंटेगा

राणा और शिवा का भारत, सदियों तक आजाद रहेगा
हिन्दू जिन्दाबाद रहा है, हिन्दू जिन्दाबाद रहेगा।

फिर भारत सीमा तोड़ेगा
टूट चुके को फिर जोड़ेगा
क्या है धर्म बता देंगे हम
क्या सत्कर्म सिखा देंगे हम
यह दुनिया स्वीकार करेगी
ओउम् ध्वनि विस्तार करेगी

ज्ञान, भक्ति होगी धरती पर, ओउम् सभी का नाद रहेगा
हिन्दू जिन्दाबाद रहा है, हिन्दू जिन्दाबाद रहेगा।

मैं दीपक बन जाऊँ - कवि फतहपाल सिंह

मैं दीपक बन जाऊँ !
जीर्ण कुटी के अन्धकार में, अपना राग सुनाऊँ
दृष्टि-पथ बन जाये जीवन,
ज्योतित कर दूं जग का कन-कन
ऐसी ज्योति जलाऊँ,
मैं दीपक बन जाऊँ !
राग भरे नव शिशु का जीवन,
आल्हादक हो मेरा तन-मन
प्रेम का राग सुनाऊँ
मैं दीपक बन जाऊँ !
भटक गया हो तम में जीवन,
ज्ञान ज्याति से भर दूं मैं मन
अपना कर्म निभाऊँ
मैं दीपक बन जाऊँ !